केंद्रीय अर्थसंकल्पावरील लोकसभेतील भाषणातील काही मुद्दे

आप जब यह मानेंगे कि मंदी है या स्लोडाउन है तभ आप इलाज परफेक्ट करेंगे| हम समझते हैं कि हम जो कर रहे हैं, वह ठीक कर रहे हैं| इसलिए हम इलाज सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं और सही दिशा में नहीं जा रहे हैं| मैंए शुरू में ही कहा था कि हमने जो मार्ग अपनाया है, वह हमें गति नहीं दे रहा हैं| उस गति को पाने की आवश्यकता हैं| हमें वह गति क्यों नहीं मिल रही हैं?

मै मेटल इंडस्ट्री की बात कर रहा हूं| दो राष्ट्रों की ट्रीटी होगी| विदेशी प्रोडक्ट जो बाहर से आता है, उस पर कस्टम ड्युटी नहीं लगती है औ रॉ मटेरियल पर कस्टम ड्यूटी लगती हैं| कस्टम ड्यूटी लगने से प्रोडक्शन कॉस्ट बढ जाती है और कॉस्ट बढने से माल या तो कोई लेता नहीं है या फिर महंगा हो जता है| इससे इन्कम तो बूस्ट होती नहीं है, बल्कि हमारा जो ‘मेक इन इंडिया’ का उद्देश्य है, वह वहीं पर ही डिफीट हो जाता है| मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आपके जो उद्दिष्ट हैं| Make in India, boost the income, and enhance the purchasing power, it gets defeated there itself. मै मैटल इंडस्ट्री के लिए आपसे मांग कर रहा हूं| मेरी आपसे प्रार्थना है कि इस पर आपको ध्यान देकर इसका निराकरण करना होगा, उसके बाद ही हमें बढोतरी मिलेगी, उससे कंपनी भी खडी रहेगी और रोजगार भी मिलेगा|

आप जानते है कि जीएसटी के बारे में महाराष्ट्र सरकार की जो राशि केन्द्र सरकार से आनी थी, वह नहीं आई| कब आई? जब नए मुख्यमंत्री आए, आदरणीय उद्धव साहब ने आपको पत्र लिखा तो पिछले अक्टूबर – नवम्बर के 15,500 करोड रुपये में से कुछ 4000 करोड रुपये की राशि दि गई है| इतनी कम राशि मे वहां भी सरकार चलानी है, क्योंकि जो वहां का बजट था, जिसका स्त्रोत सेल्स टैक्स था वह बन्द हो गया| ऑक्ट्राई बन्द हो गया, महानगरपालिका पर भी बर्डन आ रहा है| इन सारी चीजों को देखते हुए जीएसटी के ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है|
जीएसटी की क्लिष्टता आज भी परेशान कर रही है, उस क्लिष्टता को थोडा आसान करने की आवश्यकता है, ताकि लोगों को सुविधा हो|

हम अच्छे को अच्छा कहेंगे, गलत को गलत कहेंगे और जो सुधारना है, उसे सुधारने के लिए कहेंगे| आपने स्वच्छता अभियान, आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना और सोलर पावर की बात की है, लेकिन जो पेंशन स्कीम है, इंश्योरेंस प्रोटेक्शन फॉर वल्नरेबल सेक्शन्स, क्रेडिट सपोर्ट, डिजिटल पेनेट्रेशन विध ब्रॉडबैण्ड, एफोर्डेबल हाउसिंग फॉर ऑल, इन सारी चीजों को भी देखिए|

आप 1995 की पेंशन स्कीम को देखे, आज उसके लाभार्थी करीब 65 लाख लोग हैं| क्या 2500 रु. में अपना परिवार चलेगा? उसकी वृद्धी कैसे हो सकती है? आज तकरीबन करोडों लोग 1995 की पेंशन स्कीम में रजिस्टर्ड हैं| उनकी ओर से जो राशि आपके पास आति है, अगर आप उसका व्याज भी देखें, इस पेंशन स्कीम के तहत जो राशि सरकार के पास जमा है, अगर उसका इन्वेस्टमेंट किया जाए तो उसके ब्याज से आप इन पेंशनधारकों को 5000 र्य, से 7000 रु. पेंशन दे पाएंगी|

भारत संचार निगम इस देश के कोने-कोने में पहुंचा है। महानगर टेलिफोन निगम दिल्ली और मुंबई महानगर के कोनेकोने तक पहुंचा है। आप किसको यह काम दे रहे हैं? हर जगह प्राइवेट कंपनी क्यों? आप आज इन कंपनियों के रिवाइवल के लिए वीआरएस लेकर आई हैं। आपको पता है कि वीआरएस लेने के बाद करीबन एक लाख कर्मचारीयों ने दोनों कंपनियों से वीआरएस ले लिया है। एक तारीख को ऑफिस में कर्मचारी नहीं थे। अब ग्राहक वहां गया, उसे नई लाईन लेनी है या कुछ बिल पे करना है, वहां बीएसएनएल के ऑफिस में कोई नहीं है। लगभग 80,000 लोग चले गए हैं, हम क्या कर रहे हैं? न हमारी मैनेजमेंट प्रिपेयर्ड थी, न सरकार प्रिपेयर्ड थी। चाहते थे कि लोग जाएं, लेकिन जाने के बाद कंपनी को कैसे चलाएंगे? एक तरफ हम कहते हैं लक हम रिवाइव करने वाके हैं, आप रिवाइव करने वाके हैं तो आपकी तैयारी होनी चाहिए थी लेकिन एक तारीख से यहां इतने कर्मचारी होंगे, जो आगे चिकर कंपनी को चलाएंगे, ऐसी तैयारी मुझे नहीं दिखी।

आप जो डिजीटल पेनेट्रेशन करना चाहते हैं, खासकर ऑप्टिकल फाइबर या एफटीटीएच की, मैं आपसे प्राथसना करता हुं कि यह काम इनको दिजीए, इससे उनके रिवाइवल प्लान को ऑटोमैटिक सपोर्ट मिलेगा। जो कर्मचारी बचे हुए हैं, कुछ और टेम्पररी बेसिस पर लेकर करेंगे और वह काम अच्छी तरह से हो जाएगा। उसका इफ्रास्ट्रक्चर आलरेडी तैयार है, उनको पता है कि कहां देना है, किस तरह से देना है। आप जो प्लान इंप्लीमेंट करना चाहते हैं, वह सक्सेसफुल होगा, गांव की ग्राम पंचायत में भी आपको एफटीटीएच देना है तो वहां आलरेडी केबल है, उनको पता है कि कैसे देना है और यह काम अच्छी तरह से हो जाएगा। एमटीएनएल के पास मुंबई में अच्छे डेटा सेंटर्स हैं, अगर आप उनके डेटा सेंटर्स भी ले लेंगी तो अच्छा होगा।

प्रधान मंत्री जी का पक्का मकान देने का सपना है। यदि कल एलआईसी की बिल्डींग ढह गई, तो आप क्या करेंगे? मैं चाहता हुं कि एलआईसी की बिल्डींग मुम्बई शहर में बादामबाड़ी गिरगांव एरिया में है, उन्हें रीडेवलपमेंट करने की अनुमती दी जाए। मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट तो वहां के लोगों के साथ छल कर रही है। रेल्वे की जमीन पर जो झुग्गी-झोपडियां थीं, उन्हें तोड़ दिया गया है। आप लोग 20-25 साल पुरानी झुग्गियां कैसे तोड़ सकते हैं? एक तरफ हमारे मंत्री हरदीप सिंह पुरी जी कहते हैं कि किसी का मकान तोड़ना नहीं है और पक्का मकान देना है, लेकिन दूसरी तरफ रेल्वे विभाग वाले 20-25 साल पुरानी झुग्गियों को तोड़ देते हैं। मैं पूछना चाहता हुं कि क्या आप प्रधान मंत्री जी के सपनों को साकार कर रहे हैं या उन्हें उध्वस्त कर रहे हैं, यह भी आपको सोचना पड़ेगा।
प्रधान मंत्री जी की फसल बीमा योजना है, प्रधान मंत्री किसान सम्मान योजना है। मैं दोनों योजनाओं का स्वागत करता हूं। फसल बीमा योजना का पैसा आज भी किसानों को नहीं मिला है। आप जानते हैं कि हम एलआईसी का भी प्राइवेटाइजेशन करने जा रहे हैं। महाराष्ट्र के दस जिलों में एक भी बीमा कम्पनी किसानों को फसल बीमा योजना देने के लिए तैयार नहीं है। जो सरकारी कम्पनी थी, उसका आप डिसइन्वेस्टमेंट करने जा रहे हैं और जो प्राइवेट कम्पनीयां हैं, वे वहां बीमा करने नहीं आ रही हैं, क्योंकि प्राइवेट कंपनियों का कर्म मुनाफा कमाना है और सेवा देना सरकारी कंपनियों का धर्म है। मंत्री जी क्या चाहती हैं? कर्म या धर्म?

मैं आपसे प्रार्थना करता हुं कि निजीकरण, उदारीकरण का कृपया अंधा अनुकरण न करें। हम पश्चिमी राष्ट्रोंका अनुसरण कर रहे हैं। मैं कहना चाहता हुं कि वहां आबादी नहीं है, लेकन हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या आबादी है। आप चाइना की बात करेंगे, लेकिन वहां डेमोक्रसी नहीं है। जिन लोगों की नौकरियां जाएंगी, क्या हम उन्हें नौकरियां दे सकेंगे? यहां बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती जाएगी, आपको इस बारे में भी सोचना पड़ेगा। उदारीकरण के चक्कर में हम यह तो न भूलें कि हम उनके रोजगार छीन रहे हैं।

आपको पता है लक एयर इंडिया में 20-20 सालों से लोग उसी एक तनख्वाह पर काम कर रहे हैं। कहने के लिए सरकार कह सकती है लक इतने लोगों को रोजगार दिया। लोगों की तनख्वाह छठे पे कमीशन, सेवन्थ पे कमीशन से बढ़ती है लेकन इन बेचारों को क्या है?10-10 हजार, 5-5 हजार पर पिछले दस सालों से एक ही तनख्वाह पर, कॉन्ट्रक्ट पर काम कर रहे हैं। हम इस बारे में कभी सोचेंगे कि नहीं सोचेंगे?

किसानों की ॲशुअर्ड इंकम नहीं है। हमारी ॲशुअर्ड इंकम है। हमें तनख्वाह लमिती है। बारिश आने दो, बाढ़ आने दो, तनख्वाह मिल रही है। लेकिन किसानों को क्या मिल रहा है? भावंतर योजना लाने की आवश्यकता है।
आप एमएसपी की बात करते हैं, एमएसपी है और अगर भाव डाउन हुआ, जैसे कि ओनियन की बात हुई थी। The same thing is happening now. It is at Rs.2 per kilogram now. It was Rs.50 per kilogram and Rs.200 per kilogram also but it has now come down to Rs.2 today. Who will compensate them? The MSP should be decided for that. उसमें जो लॉस होगा, वह अगर भावंतर योजना आई तो किसान उस पर खड़ा रह सकता है।

हमारे यहां स्टॉफ सिलेक्शन कमीशन है या स्टेट के कमीशन हैं। पूरे देश में रिक्रुइटमेंट होती है। मेरी आपसे प्रार्थना है लक ये रिक्रुइटमेंट आप रिजनल करिए।
टुकड़े-टुकड़े गैंग की बात छोडिए। इसमें भी लोगों की भावनाएं बहुत भड़क रही हैं। Sons of the soil should be given preference. The sons of the soil can be given preference if it is regional recruitment. If you do not do it, it will always be an injustice to them. और उसका रिएक्शन आता रहेगा।
आपने एजुकेशन पॉलिसी में जो कदम उठाए हैं, उसकी सराहना करता हुं, लेकिन खास कर प्राइमरी एजुकेशन में ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर वहां कम से कम दो-तीन सब्जेक्ट्स में यूनिफॉर्मिटी आ गई, तो standard of education throughout the country will remain the same, otherwise people would be deprived of the quality education and the discrimination will go on.

जय हिंद! जय महाराष्ट्र!!